दिल्ली में बरसेंगे भक्ति के रंग
दिल्ली में बरसेंगे भक्ति के रंग : बन रहा धर्मोदय तीर्थ, तीन आचार्यों के सान्निध्य में भव्य पंचकल्याणक व महामस्तकाभिषेक
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3-3 आचार्य एवं गणिनी आर्यिका के सान्निध्य में धर्मोदय तीर्थ के पंचकल्याणक 03 से 07 फरवरी
20 जनवरी 2024 / पौष शुक्ल दशमी /चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/ प्रवीन कुमार जैन /
नई दिल्ली। कनाट प्लेस स्थित राजा बाजार श्री खंडेलवाल दिगंबर जैन मंदिर में नवनिर्मित भगवान धर्मनाथजी, भगवान शांतिनाथ जी एवं भगवान मुनिसुव्रतनाथ की 3 भव्य विशाल प्रतिमाओं एवं चौबीसी जिनबिम्बों का पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव एवं विश्व शांति महायज्ञ राष्ट्रसंत परम्पराचार्य श्री प्रज्ञ सागरजी मुनिराज ससंघ की मंगल प्रेरणा व मार्गदर्शन में 03 फरवरी से 07 फरवरी 2024 तक सम्पन्न होंगे तथा तीनों विशाल प्रतिमाओं का महामस्तकाभिषेक 08 से 14 फरवरी तक सम्पन्न होगा। महोत्सव में सप्तम् पट्टाचार्य श्री अनेकांत सागरजी मुनिराज ससंघ एवं बालयोगी आचार्य श्री सौभाग्य सागरजी महाराज ससंघ के साथ गणिनी आर्यिका श्री चंद्रमति माताजी का पावन सान्निध्य एवं प्रवनचों का लाभ भी प्राप्त होगा।
श्री खंडेलवाल दिगंबर जैन मंदिर के अध्यक्ष श्री जिनेन्द्र नरपतिया ने समस्त जैन समाज से आह्वान किया है कि मंदिरजी का विकास कार्य चल रहा है तथा नवीन जिनबिम्बों एवं चौबीसी के निर्माण के बाद पंचकल्याणक एवं महामस्तकाभिषेक में सपरिवार भाग लेकर पुण्यार्जन करें तथा अपनी चंचला लक्ष्मी का इस पुनीत कार्य में इस्तेमाल करें।
महामंत्री श्री धीरज कासलीवाल ने बताया कि तीनों विशाल जिनबिम्ब पाषाण के हैं। भगवान धर्मनाथ की पद्मासन पाषाण की प्रतिमा है तथा शेष दो खड्गासन प्रतिमाएं हैं – तीनों जिनबिम्बों की आभा देखते ही बनती है। इन्हीं प्रतिमाओं का पंचकल्याणक के पश्चात् महामस्तकाभिषेक करने का सौभाग्य 08 से 14 फरवरी तक मिलेगा। पंचकल्याणक और महामस्तकाभिषेक में पुण्यार्जन का अवसर सौभाग्यशालियों को ही प्राप्त होता है।
संयोजक श्री प्रवीण कासलीवाल ने कहा श्री खंडेलवाल दिगंबर जैन मंदिर, राजा बाजार दिल्ली के प्राचीनतम मंदिरों में से एक है तथा यहां भगवान महावीर की मूल प्रतिमा विराजमान हैं।
समिति के अन्य पदाधिकारी गौरव पटौदी, कमल पाटनी, अनिल पटोदी आदि ने आचार्य श्री प्रज्ञ सागरजी के चरणों में नमन करते हुए कहा कि यह आचार्य श्री की पावन प्रेरणा एवं निर्देशन ही था जो मंदिर को धर्मोदय तीर्थ के नाम से आज जाना जा रहा है तथा क्षेत्र का विकास द्रुत गति से चल रहा है।