तीसरा विश्व युद्ध और जैन धर्म

विश्व तीसरे विश्व युद्ध की कगार पर हैं। पिछले कुछ सालों से विश्व के विभिन्न देशों में युद्ध की स्थिति बनी हुई है। ताईवान – चीन, रुस – युक्रेन और अभी हाल ही में इस्राइल और हमास के युद्ध में विश्व के अधिकतर देश कहीं ना कहीं लिप्त हैं, और राजनैतिक पंडितों का कहना है कि कहीं वर्तमान स्थितियां विश्व को तीसरे विश्वयुद्ध की ओर तो नही धकेल रही हैं?

ऐसी विकट स्थिति में जैन सस्कृति की क्या स्थिति होगी?
लोगों को यह जानकार आश्चर्य होगा कि जैन धर्म के अनुयायी ऐसी विकट स्थिति में भी विश्व में शांति स्थापित करने के लिए महती भूमिका अदा कर सकते है।
जैन दर्शन हमेशा मैत्री, करूणा और विश्व शांति की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं।
जैन तत्वदर्शन में छह काय का वर्णन किया गया है।
पृथ्वी, पानी, अग्नि, वायु, वनस्पति, और अन्य सूक्ष्म प्राणियों के अत्यंत दोहन के कारण और उसके कारण अत्याधिक हिंसा के कारण सम्पूर्ण विश्व में अराजकता की स्थिति और अशांति फैली हुई है।

साथ ही अपनी अज्ञानता और लालच एवं कषाय के कारण विश्व युद्ध की स्थिति बनी हुई है।
इस यक्ष समस्या का समाधान, जैन संघ के चारों तीर्थ साधु, साध्वी, श्रावक ओर श्राविकाओ के पास हैं।
ये चारों तीर्थ प्रमाणिकता से और तथ्यों सहित यदि जैन धर्म के सिद्धांतो को विश्व पटल पर रखे तो विश्व को संभावित विश्व युद्ध से बचा सकते हैं।

आज की युवा पीढ़ी पढी लिखी और तर्कशील हैं, ओर पूर्वाग्रह से मुक्त होना चाहती हैं।
यदि उन्हें जैन धर्म के सिद्धांतो और तत्व ज्ञान की वैज्ञानिक अनुसंधान द्वारा प्रतिपादित जानकारी उपलब्ध कराई जाये, तो विश्व में शांति स्थापित करने में सफलता प्राप्त की जा सकती हैं।
आज विश्व में जैन दर्शन पर अनेक शोधकर्ता, वैज्ञानिक, बुद्धिजीवी काम कर रहे हैं लेकिन उनमें आपस में सामंजस्य नही होने के कारण और जैन धर्म के विस्तार की कुछ धार्मिक बाध्यताओं के कारण जिनशासन के सिद्धांतों और तत्वज्ञान को विश्व के सन्मुख उस तेजी से नही प्रस्तुत किया जा रहा है, जितनी तेजी से किया जाना चाहिए।
हम जानते हैं कि साधु वर्ग की कुछ मर्यादाएं होती है, जिसके कारण वे विश्व शांति में उपदेश के माध्यम से ही अपनी भूमिका अदा कर सकते हैं लेकिन श्रावक – श्राविकाओ को तो वैज्ञानिक अनुसंधान से हर कसौटी पर खरा उतरने वाले जैन दर्शन के विचारों जैसे अहिंसा, दया और अपरिग्रह आदि के सिद्धांतों की प्ररूपणा विदेशों में भी करनी चाहिए, ताकि बारूद के ढेर पर बैठे विश्व के लोगों को अहिंसा के महत्व और उनके सकारात्मक परिणामों के बारे में अवगत कराया जा सके,
और विश्व शांति के लिए उनको प्रेरित किया जा सके।
महावीर चन्द रांका, पोलुर
9444204046
संयोजक
वर्धमान स्थानकवासी जैन महासंघ तमिलनाडु
दिनांक – 19/2/2024