महा पुरुषों के आचरण को उनके द्वारा उपदेशात्मक ज्ञान को अपनाए

रावण ने अपने जीवन मे महादेव के साक्षात दर्शन किए तदुपरांत कई देवो और नवग्रहों को हरा चुका था
युद्ध के पहले प्रभु भी श्रीराम जी के दर्शन कर चुका था l

उसी तरह कंस, दुर्योधन आदि भी प्रभु श्री कृष्ण के दर्शन करते थे l

गौशालक तो भगवान महावीर के तपस्या पथ पर सालो साथ रहा तीर्थंकर बनने उपरांत भी दर्शन लाभ ले चुका था, किन्तु कोई भी अपनी बुद्धि नहीं बदल सके,

ऐसे अनेकों उदाहरण हमारे धर्म ग्रंथों में भरे हुए है
हम सुनते है किन्तु समझते नहीं है कि महा पुरुषों के दर्शन मात्र से नहीं उनके आचरण को उनके द्वारा उपदेशात्मक ज्ञान को
अपनाने से जीवन धन्य और धर्म मय होगा और उन्हीं जेसे बनने का सौभाग्य भी प्राप्त हो सकता है l

इसलिए धर्म को अंध विश्वास से नहीं समझदारी से जानकर, समझकर अपनाने से व्यवहार में विचारो में भावों में लाने से अशुभ कर्म को काटने में मदद मिलेगी तप त्याग स्वाध्याय से शुभ कर्मों का बँध होगा, दर्शन मात्र से अशुभ कर्मों का क्षय नहीं होगा l

पैसा कमाने में जितना दिमाग और समझदारी हम उपयोग करते है क्या धर्म समझने में करते है?
विचार जरूर कीजिए…

जय जिनेन्द्र
✍️विकास जैन