अहमदाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष श्री बण्डीलाल दिगम्बर जैन कारखाना द्वारा प्रस्तुत एप्लिकेशन
प्रस्तुति-प्रेषक: निर्मलकुमार पाटोदी, इन्दौर: कृपया प्रस्तुत जानकारी को प्रकाशित कर के, सभी यात्रियों को दें।
इसे वाट्स समूहों तक प्रसाररित दें। समाज की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशनार्थ प्रेषित कर दें।
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—महान तीर्थ गिरनार सिद्धक्षेत्र पहाड़ की यात्रा पर जाने से पहले प्रत्येक यात्री के पास में यात्रा के उद्देश्य को पूरा करने संबंधी निम्न जानकारी अवश्य रहे।
१. यात्रा पर जाने से पहले जूनागढ़ कलेक्टर को रजिस्टर्ड ए डी से पत्र में लिख दें कि आप कितने व्यक्ति किस दिन प्रात: गिरनार पहाड़ की पांचवीं टोंक पर वंदना करने पहुंच रहे हैं।
पता:
जिला कलेक्टर,
जिला सेवा सदन, शशिकुंज के सामने, जूनागढ़, गुजरात।
E-mail: [email protected]
जिला पुलिस अधीक्षक,
पुलिस मुख्यालय, सेवा सदन,
सरदारबाग, जूनागढ़, (गुजरात)
श्रीमान रजिस्ट्रार ,
गुजरात हाइकोर्ट, सोला, अहमदाबाद।
श्री बण्डीलाल दिगम्बर जैन कारखाना, श्री गिरनार,
दिगम्बर जैन धर्मशाला, भवनाथ तलेटी, जूनागढ़, (गुजरात) ३६२ ००४
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अहमदाबाद उच्च न्यायालय के समक्ष अंतरिम आदेश प्रदान करने के लिए श्री बण्डीलाल दिगम्बर जैन कारखाना द्वारा स्पेशल सिविल एप्लिकेशन प्रकरण क्रमांक 6428 सन् 2004 के अंतर्गत प्रस्तुत की गई।
वकील
1.मनोज गोयल
2.एच. आर. प्रजापति।
विरुद्ध
१. गुजरात राज्य सरकार
२. सेक्रेट्री संस्कृति विभाग
3. कलेक्टर जूनागढ़
4. डी एस पी जूनागढ़
गुजरात राज्य सरकार की ओर से वकील:
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1. कमल त्रिवेदी अतिरिक्त एडवोकेट जनरल।
2. संगीता विशेन
3. ह्रदय बुच
4. जशवंत शाह
5. दगली
6. बी. बी. नाईक।
—-प्रकरण की सुनवाई
———————-17-02-2005 को जस्टिस श्री जयन्त पटेल जे. के न्यायालय में हुई।
न्यायाधीश श्री जयंत पटेल का मौखिक अंतरिम आदेश/ निर्णय
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-०- दिगम्बर जैन समाज के यात्री पिछले २३ साल से गिरनार जी पहाड़ की पांचवीं टोंक की यात्रा में उच्च
न्यायालय की अहमदाबाद खण्डपीठ द्वारा निर्देशित न्यायिक और धार्मिक अधिकार से अनभिज्ञ और
अंधकार में रहें।
—————— … जिसका दुष्परिणाम यह निकला कि पांचवीं टोंक में बैठे रहने वाले सनातन पण्डों ने
हमारे साधुओं को पीटा, अपशब्द बोले, अपमानित किया और एक मुनि पर छुरे से जान लेवा प्रहार भी किये।
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-०- यात्रियों के पुलिस की उपस्थिति में लाठियों से मारा-पीटा गया। गाली-गलौच की गई, धक्का-मुक्की की
गई, प्रताड़ित किया गया, धमकाया गया।
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-हे जैन धर्म के उपासक, भगवान नेमिनाथ जी के अनन्य भक्तगण, गिरनार जैन पहाड़ सदा से जैन धर्म का था और है भी।
-गिरनार सिद्ध तीर्थ पहाड़ की २ री, ३ री, चौथी और पांचवीं टोंक हमारी आस्था, विश्वास अस्तित्व भी है।
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-उच्च न्यायालय का निर्देश हमारे पक्ष में है। हमारे यात्री धर्म परंपरा अनुसार पांचवीं टोंक की अधिकार से यात्रा
कर सकते हैं।
– नेमिनाथ जी के चरण-चिह्न और मूर्ति के परंपरानुसार हम जयकारा और जाप, भक्ति, दर्शन, पूजन, वंदन आदि
कर सकते हैं।
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-उच्च न्यायालय का निर्देश हमें हमारी धार्मिक परंपरा के साथ अधिकार प्रदान करता है।
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-जहां तक हो, गिरनार यात्रा समूह में करें यात्रा करते समय यह न्यायिक निर्देश साथ में रखें।
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-अहमदाबाद उच्च न्यायालय का स्थगन आदेश निम्नानुसार है:
-मार्च २००४ में जानकारी मालुम हुआ कि गिरनार की पांचवीं टोंक पर बांधकाम का मटेरियल पहुंचाया जा रहा है।
इस अवैध निर्माण कार्य की तत्काल सूचना पूरातत्व विभाग, गुजरात राज्य सरकार बण्डीलाल कारखाना ने १५ मार्च २००४ दी।
-जब निर्माण कार्य तीव्र गति से होने लगा, मंदिरनुमा ढांचा बनने लगा, तब हमारे समाज ने जूनागढ. कलेक्टर से स्टे ले लिया गया। यह रहस्य उजागर हो गया कि अवैध निर्माण कार्य को सरकार जान बूझकर अनदेखा कर रही है। सांस्कृतिक मंत्री आनन्दी बहन पटेल ने मुलाकात के निवेदन पर इंकार कर दिया।
-अवैध निर्माण के साथ २००४ में मूर्ति भी स्थापित कर दी गई।
– ८ जून २००४ को अहमदाबाद हाईकोर्ट में स्टे की अपील प्रस्तुत की गई। हॉइकोर्ट से तुरंत स्टे मिल गया।
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अहमदाबाद उच्च न्यायालय द्वारा गिरनार पहाड़ की पांचवीं टोंक की यात्रा पर जाने के इच्छुक आराम और सुविधा से यात्रा कर सकें, इस संबंध में अंतरिम आदेश है। जिसमें हमारी धार्मिक परंपरा अनुसार दर्शन, पूजन, वंदना आदि से संबंधित अधिकार की निम्न जानकारी है:
-17 फरवरी 2005 को अहमदाबाद उच्च न्यायालय के जस्टिस जयंत जे. पटेल ने जैन समाज के आवेदन पर निम्न अंतरिम धार्मिक आदेश पारित किया:
-हिन्दुओं को भी उनके आम्नाय के अनुसार धार्मिक अधिकार प्रदान किया।
-न्यायालय के निर्देश/ आदेश में जैन समाज को पांचवीं टोंक में अपनी धार्मिक परम्परा अनुसार दर्शन, पूजन,
परिक्रमा, वंदना आदि की सुविधा मिली।
-लॉ एण्ड ऑर्डर के पालन हेतु आदेश दिनांक से, पर्याप्त पुलिस बल के साथ,चौथी और पांचवीं टोंक के बीच एक -पुलिस चौकी स्थापित करने का निर्देश जिला मजिस्ट्रेट को दिया गया।
-यात्रियों को सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया गया।
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१. भगवान नेमिनाथ के चरण-चिह्न, मूर्ति की यात्रा में प्रवेश पास दिया जावेगा। वापस जाते समय यात्री का पास वापस जमा होगा। इससे सुनिश्चित होगा कि यात्री सुरक्षित, आराम से, सुविधा से यात्रा के बाद वापस आ गया। जिला मजीस्ट्रेट पर्याप्त पुलिस बल को रखा जाएगा।
२. कानून व्यवस्था की शिकायत को १२ घण्टे में जिला पुलिस अधीक्षक को सुचित किया जायगा। पुलिस अधीक्षक आवश्यक कार्यवाही करेगा।
३. जिला मजिस्ट्रेट चेक पाइंट चौथी और पांचवीं टोंक के बीच इस निर्णय से चार सप्ताह में स्थापित करेगा।
४. चेक पाइंट पर पर्याप्त पुलिस बल तैनात किया जाएगा।