प्राचीन जैन मंदिर का शिव मंदिर में परिवर्तन – धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर पर हुआ हमला
📢 प्राचीन जैन मंदिर का शिव मंदिर में परिवर्तन – धार्मिक और सांस्कृतिक धरोहर पर हुआ हमला
बिक्कवोलु गाँव, पूर्वी गोदावरी जिला, आंध्र प्रदेश में एक गंभीर और चिंताजनक घटना घटित हो चुकी है। वहाँ स्थित एक प्राचीन जैन मंदिर, जो 8-9वीं सदी में राष्ट्रकूट काल के दौरान निर्मित हुआ था, को हाल ही में शिव मंदिर में परिवर्तित कर दिया गया। यह परिवर्तन न केवल धार्मिक असहिष्णुता को दर्शाता है, बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहर पर गहरा प्रहार करता है।
🔥 धार्मिक और ऐतिहासिक धरोहर पर संकट
यह मंदिर भारत के गौरवशाली अतीत का सजीव प्रमाण रहा है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) द्वारा संरक्षित इस स्मारक में राष्ट्रकूट काल के तीर्थंकर की प्राचीन प्रतिमा आज भी मौजूद है। इसके बावजूद, इसे शिव मंदिर में परिवर्तित कर देना न केवल धार्मिक आस्थाओं का अपमान रहा, बल्कि सांस्कृतिक विरासत को भी नष्ट करने का एक गंभीर प्रयास साबित हुआ।
🚫 धार्मिक पहचान का हनन:
जैन मंदिर को शिव मंदिर में बदल देना जैन समाज की धार्मिक भावनाओं का सीधा अपमान था। यह धार्मिक असहिष्णुता और असंवेदनशीलता का गंभीर उदाहरण बना। भारत की विविध धार्मिक परंपराएं सह-अस्तित्व और सद्भाव का संदेश देती हैं, लेकिन इस घटना ने हमारे संवैधानिक और सामाजिक मूल्यों को चुनौती दी।
📜 पुरातत्व विभाग और सरकार की उदासीनता:
संरक्षित धरोहर का इस प्रकार से रूपांतरण यह साबित करता है कि पुरातत्व विभाग और राज्य सरकार ने अपने कर्तव्यों के प्रति गंभीर लापरवाही बरती। एक संरक्षित स्मारक को अवैध रूप से परिवर्तित कर देना इस बात का संकेत है कि संबंधित अधिकारियों की ओर से लापरवाही की गई, जिन पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।
📣 हमारी माँग:
1. धार्मिक धरोहर की पुनर्स्थापना: प्राचीन जैन मंदिर को उसकी मूल स्थिति में पुनर्स्थापित किया जाए।
2. सख्त कानूनी कार्रवाई: इस अवैध परिवर्तन में शामिल सभी लोगों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
3. संस्कृति का संरक्षण: पुरातत्व विभाग और स्थानीय प्रशासन को जवाबदेह ठहराया जाए और धार्मिक धरोहरों की सुरक्षा के लिए कड़े नियम बनाए जाएं।
4. जन-जागरण: समाज में धार्मिक सहिष्णुता और सांस्कृतिक संरक्षण के प्रति व्यापक जागरूकता लाई जाए।
🙏 हमारी सांस्कृतिक विरासत को बचाने के लिए आवाज उठाएं:
धार्मिक और ऐतिहासिक स्थलों को संरक्षित रखना केवल सरकार का ही नहीं, हम सभी का कर्तव्य है। यदि आज हम चुप रहे, तो आने वाली पीढ़ियाँ हमारी पहचान और धरोहर को केवल किताबों में ही पढ़ पाएंगी।
इस अन्याय के खिलाफ एकजुट होकर आवाज उठाएं।
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