मुंबई समाचार: जैन समुदाय ने बीएमसी द्वारा 90 वर्षीय विले पार्ले मंदिर को गिराने का किया विरोध
मुंबई समाचार: जैन समुदाय ने बीएमसी द्वारा 90 वर्षीय विले पार्ले मंदिर को गिराने का किया विरोध, कार्रवाई को उच्च न्यायालय की अपील से पहले बताया गया
विले पार्ले (पूर्व) स्थित नेमिनाथ कोऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी के परिसर में बने 90 साल पुराने बंगलेनुमा जैन चैत्यालय (गृह मंदिर) के प्रबंध समिति ने बीएमसी के नोटिस के खिलाफ नगर सिविल न्यायालय में याचिका दायर की थी। यह मंदिर उस भूखंड पर स्थित है जो नगर नियोजन में मनोरंजन मैदान (आरजी) के लिए आरक्षित किया गया है।
बीएमसी ने बुधवार को किया मंदिर ध्वस्त, देशभर से जैन समुदाय में रोष
बीएमसी ने दावा किया कि मंदिर को तोड़ने से पहले कई बार नोटिस भेजे गए थे, जबकि मंदिर समिति ने आरोप लगाया कि बीएमसी ने सिविल कोर्ट की मौखिक स्थगनादेश के बावजूद जल्दबाजी में कार्रवाई की।
हालांकि अदालत ने 8 अप्रैल को याचिका खारिज कर दी थी, लेकिन मंदिर को उच्च न्यायालय में अपील करने का अवसर देने के लिए मौखिक रूप से तोड़फोड़ पर रोक लगाई थी।
मंदिर प्रबंधन का आरोप: श्रद्धालुओं को जबरन निकाला, मूर्तियों पर चढ़े अधिकारी
बुधवार सुबह बीएमसी अधिकारियों ने भारी पुलिस बंदोबस्त के बीच मंदिर को गिरा दिया। श्रद्धालुओं ने विरोध किया लेकिन सफल नहीं हो सके। मंदिर प्रबंधन ने आरोप लगाया कि श्रद्धालुओं को जबरन बाहर निकाला गया, अधिकारी मूर्तियों पर चढ़ गए और धार्मिक साहित्य को सड़क पर फेंक दिया गया।
बीएमसी का पक्ष: हाई कोर्ट ने याचिका खारिज की, कार्रवाई वैध
बीएमसी अधिकारियों ने बताया कि मंदिर को 2015, 2020 और दिसंबर 2024 में तीन बार नोटिस दिया गया था। 15 अप्रैल को मंदिर ट्रस्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट में स्थगन के लिए याचिका दायर की थी, जिसे 16 अप्रैल को खारिज कर दिया गया। इसके बाद ही मंदिर को ध्वस्त किया गया।
ट्रस्ट का दावा: कोर्ट की विस्तृत सुनवाई से पहले की गई जल्दबाजी
मंदिर ट्रस्टी अनिल शाह ने कहा, “हम हाई कोर्ट में अपील करने वाले थे, मैंने वार्ड अधिकारी से एक घंटे रुकने की विनती की थी लेकिन वह नहीं माने। यह मंदिर जबरदस्ती और अवैध रूप से गिराया गया।”
देशभर से जैन संगठनों ने जताया विरोध, 500 से अधिक लोगों की बैठक
गुरुवार को विले पार्ले के एक अन्य जैन मंदिर में बैठक आयोजित की गई जिसमें 500 से अधिक लोग शामिल हुए और आगे की रणनीति पर चर्चा की गई।
मंदिर का इतिहास और विवाद
मंदिर 1935 से कार्यरत बताया गया है, लेकिन 1998 में इसके जीर्णोद्धार के बाद कानूनी विवाद शुरू हुआ। सोसायटी ने पहले हाई कोर्ट में मंदिर गिराने की मांग की थी, लेकिन मंदिर ट्रस्ट का दावा है कि बीएमसी ने पहले कहा था कि यह ढांचा 1966 के महाराष्ट्र रीजनल एंड टाउन प्लानिंग अधिनियम के पहले से है, अतः इसे नहीं गिराया जा सकता। 2022 में सोसायटी के बिल्डर ने बीएमसी से आरजी आरक्षण स्थानांतरित करने की मांग की, लेकिन सोसायटी के विरोध के कारण यह संभव नहीं हो सका।
प्रस्तुतकर्ता सुमन कुमार जैन प्रदेश उपाध्यक्ष मध्य प्रदेश दिगंबर जैन परिषद