जैनों में कितने जैन? “केवल पेट और परिवार तक सीमित मत रहिए।
जैनों में कितने जैन? “केवल पेट और परिवार तक सीमित मत रहिए। पिछले चार दिनों में मंदिर तोड़ा गया, साधुओं पर हमला हुआ, और एक राजनेता ने जैन समाज को मुस्लिम समुदाय से जोड़कर अपमानजनक शब्द कहे।
जो लोग केवल पेट और परिवार तक सीमित रहते हैं, उनकी दुर्दशा होना तय है। “भूतकाल में जैन समाज ने अनगिनत आक्रमणों का सामना किया है। जैनों ने हजारों प्राचीन मंदिर खो दिए, जैनों के शास्त्र, साहित्य और संस्कृति और प्राचीन इतिहास को नष्ट कर दिया गया। साधुओं की हत्या हुई और श्रावकों का धर्मांतरण तथा सामूहिक हत्या भी हुई!
चारों ओर से, यानी धार्मिक, सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से, जैन समाज को बुरी तरह पीछे धकेला गया है। वास्तविक सत्य यही है कि जैन समाज का अस्तित्व खतरे में है। यदि हम इसी तरह निष्क्रिय रहे, तो पंचमकाल के अंत तक धर्म का अस्तित्व तो बहुत दूर की बात है (18500 साल), अगले 150-200 वर्षों में ही धर्म का पूर्ण रूप से अस्तित्व समाप्त हो सकता है।
“पिछले चार दिनों में जैन साधुओं पर जानलेवा हमला हुआ, फिर भी हम चुप हैं, क्योंकि हम केवल पेट और परिवार तक सीमित हैं। मुंबई में मंदिर को तोड़ दिया गया, फिर भी हम चुप हैं, क्योंकि हम केवल पेट और परिवार तक सीमित हैं। मध्य प्रदेश में एक राजनेता ने जैन समाज के लिए अपशब्दों का इस्तेमाल किया और गाली दी, फिर भी हम चुप हैं, क्योंकि हम केवल पेट और परिवार तक सीमित हैं।”
अंत में यहीं प्रश्न उठता है—जैनों में कितने जैन बचे हैं? क्या हमारा धर्म, सिद्धांत और पहचान केवल नाममात्र रह गए हैं? इस समाज का स्वाभिमान कहाँ खो गया है?
व्हाट्सप्प लिंक- https://whatsapp.com/channel/0029VbA91L6IHphQfvKl1821
MissionJainism
————————
महेश जैन
ग्लोबल महासभा