जीतो संगठन के नवकार महामंत्र अभियान पर आधिकारिक पत्र
जीतो संगठन के नवकार महामंत्र अभियान पर आधिकारिक पत्र
श्रीमान जीतो संगठन के पदाधिकारीगण एवं समस्त जैन समाज, भारत एवं विश्व समुदाय
जैन धर्म में परम पूजनीय महामंत्र, जिसे समस्त जीवों के कल्याण का द्वार माना जाता है, वह “णमोकार महामंत्र” है। यह महामंत्र श्वेतांबर एवं दिगंबर परंपराओं के मूल आगमों में प्रमाणित रूप से ‘णमोकार’ स्वरूप में ही वर्णित हुआ है, न कि ‘नमोकार’ रूप में। अतः इस संबंध में सटीक शास्त्रीय प्रमाणों को प्रस्तुत करना आवश्यक है।
विश्लेषण में त्रुटि है तो मार्गदर्शन करें।
आगम प्रमाण : ‘णमोकार महामंत्र’ का उल्लेख
१. आचारांग सूत्र (श्वेतांबर आगम)
“णमो अरिहंताणं, णमो सिध्धाणं, णमो आयरियाणं, णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं।” (आचारांग सूत्र, प्रथम श्रुतस्कंध, अध्याय ४)
२. तत्त्वार्थसूत्र (दिगंबर आगम)
“णमो कार मंत्रेणम्।” (तत्त्वार्थसूत्र, अध्याय १)
३. उत्तराध्ययन सूत्र
“णमो अरिहंताणं, णमो सिध्धाणं…” (उत्तराध्ययन सूत्र, अध्याय २५)
४. दशवैकालिक सूत्र
“णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं…” (दशवैकालिक सूत्र, अध्याय १)
५. भगवती सूत्र
“णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं…” (भगवती सूत्र, १२वाँ श्रुतस्कंध)
इन प्रमाणों से स्पष्ट होता है कि मूल आगमों में ‘णमोकार’ ही सही उच्चारण है। इसे ‘नमोकार’ के रूप में उच्चारित करना आगम प्रमाणों से भिन्न है और जैन धर्म के प्राचीन शास्त्रों के विपरीत है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ‘णमोकार’ उच्चारण का महत्व
संस्कृत और प्राकृत भाषाओं में प्रत्येक ध्वनि का एक विशेष कंपन प्रभाव होता है, जिसका मानसिक, शारीरिक एवं आध्यात्मिक प्रभाव पड़ता है।
१. ‘ण’ ध्वनि का कंपन प्रभाव:
‘ण’ एक अनुनासिक ध्वनि है, जो मस्तिष्क के मध्य स्थित पीनियल ग्रंथि (Pineal Gland) और मस्तिष्कीय तरंगों को सक्रिय करती है। इससे ध्यान और मानसिक शांति में वृद्धि होती है।
यह ध्वनि सहस्रार चक्र (Crown Chakra) को प्रभावित करती है, जिससे आध्यात्मिक उन्नति होती है।
२. ‘ण’ और ‘न’ में अंतर:
‘ण’ का उच्चारण तालव्य (Palatal) होता है, जो गहन ध्यान और आंतरिक ऊर्जा संतुलन को बढ़ाता है।
‘न’ का उच्चारण दंत्य (Dental) होता है, जो अपेक्षाकृत सतही होता है और इतनी आध्यात्मिक शक्ति उत्पन्न नहीं करता।
३. ध्वनि विज्ञान और कंपन प्रभाव:
वैज्ञानिक शोध यह प्रमाणित कर चुके हैं कि ध्वनि का कंपन हमारे तंत्रिका तंत्र और चक्रों पर प्रभाव डालता है।
‘ण’ की ध्वनि का प्रभाव गहरे ध्यान एवं मानसिक शांति को उत्पन्न करता है।
‘नमोकार’ उच्चारण पर प्रतिक्रिया
१. आगम प्रमाणों की दृष्टि से:
‘नमोकार’ का प्रयोग किसी भी जैन आगम में प्रमाणित नहीं है। मूल शास्त्रों में ‘णमोकार’ ही मिलता है।
२. ध्वनि विज्ञान की दृष्टि से:
‘नमोकार’ में प्रयुक्त ‘न’ ध्वनि कम प्रभावी होती है, जबकि ‘ण’ का कंपन अधिक गहन ऊर्जा उत्पन्न करता है।
‘ण’ ध्वनि में एक आध्यात्मिक शक्ति निहित है, जो ‘न’ में नहीं पाई जाती।
३. ऐतिहासिक और परंपरागत दृष्टि से:
प्राचीन हस्तलिखित ग्रंथों एवं जैन आचार्यों के प्रवचनों में ‘णमोकार’ ही मान्य रूप से उल्लेखित हुआ है।
जीतो संगठन से निवेदन
आपके द्वारा ९ अप्रैल २०२५ को आयोजित किए जा रहे नवकार महामंत्र पाठ कार्यक्रम के प्रति हमारी पूर्ण सहमति एवं समर्थन है। यह अत्यंत सराहनीय प्रयास है कि जैन समुदाय को एकजुट कर इस दिव्य मंत्र का सामूहिक उच्चारण किया जाए।
किन्तु, यह अत्यंत आवश्यक है कि इस महामंत्र का प्रचार-प्रसार एवं उच्चारण जैन आगमों के अनुरूप किया जाए। मूल आगमों में ‘णमोकार महामंत्र’ ही प्रमाणित है, अतः जीतो संगठन से विनम्र अनुरोध है कि वे इस महत्वपूर्ण अभियान में ‘णमोकार’ महामंत्र का ही प्रचार करें।
इस प्रकार, हम जैन समाज को आगम प्रमाणित मंत्र से जोड़कर धर्म की शुद्धता को बनाए रख सकते हैं। हम जीतो संगठन से आग्रह करते हैं कि वे अपने सभी प्रचार सामग्री, निमंत्रण पत्रों एवं डिजिटल मंचों पर ‘णमोकार महामंत्र’ का ही प्रयोग करें।
हम आशा करते हैं कि जीतो संगठन इस विषय को गंभीरता से लेगा और आगम प्रमाणिकता को प्राथमिकता देते हुए इस पावन मंत्र के सही स्वरूप का प्रचार करेगा।
ललित कुमार अजमेरा
मंत्री, श्री दिगम्बर जैन पंचायत विजयनगर