🌹।।जैनत्व की प्रतिज्ञा🌹।।

सभी जैनाचार्यों और श्रावक समाज से मेरा विनम्र निवेदन है कि:
हमें प्रतिदिन प्रातःकाल और रात्रि में निद्रा के आगोश में जाने से पूर्व, तथा हर धर्मसभा, प्रवचन या धार्मिक आयोजन के आरंभ और समापन के समय यह प्रतिज्ञा अवश्य लेनी चाहिए।
यह अभ्यास हमें जैन धर्म और जैनत्त्व का सतत स्मरण कराएगा, जिससे हम अपने जीवन में अधिक जागरूक और सतर्क रह सकें। यह आदत हमें मिथ्या कार्यों और अनावश्यक गतिविधियों से बचाने में सहायक होगी। साथ ही, हमारे जीवन में जैनत्त्व की सुगंध निरंतर प्रवाहित होती रहेगी, जिससे न केवल हम बल्कि हमारे आसपास के लोग भी लाभान्वित होंगे।
आइए, इस साधारण लेकिन प्रभावी प्रयास के माध्यम से हम अपने धर्म और जीवन में जैन मूल्यों को और अधिक सशक्त बनाएं।

🌹।। प्रतिज्ञा ।।🌹
1. मैं जैन हूँ।
2. मुझे जैन होने पर गर्व है।
3. देवाधिदेव अरिहन्त भगवान मेरे देव हैं।
4. सु साधु मेरे गुरु हैं।
5. जहाँ दया है, वहाँ धर्म है।
6. मैं अपने आप को देव, गुरु, धर्म, संघ, समाज और परिवार के प्रति समर्पित करता/करती हूँ।

सभार-अज्ञात
सुगालचंद जैन, चेन्नई
25-1-2025