सम्यग ज्ञान और स्मयग द्रष्टि ।

जब हम एक कांच के गमले मे 500 रुपये के फूल रखते हैं और वो फूल दो या तीन दिन बाद मुर्झा जाते हैं तब हमे कोई दुख नहीं होता है क्योंकि हमे फूलो के बारे में यह ज्ञान है कि वो दो या तीन दिन में मुर्झा जाते हैं. अब यदि वो कांच का गमला टूट जाता है जिसकी क़ीमत भी 500 रुपये ही है तो हमे दुख होता है.

500 रुपये के फूल हम हर तीन दिन बाद बदलते हैं लेकिन उसका हमे कोई दुख नहीं होता है लेकिन वो कांच का गमला 500 रुपये का ही है. लेकीन कांच का गमला टूटने पर हमे दुख होता है. हमने फूलो के सही स्वरूप को देख लिया है. इसलिए उनके मुरझाने से दुख नहीं होता है और कांच के गमले के गुण, धर्म और स्वभाव को नहीं समझे इसलिए उसके टूटने से हमे दुख होता है.

यह सम्यग ज्ञान, सम्यग दर्शन का प्राथमिक उदाहरण है.।

अशोका ऊ सालेचा
720804230
15. 01.2023