भारतवर्ष के जैन समाज से एक अनुरोध।
भारतवर्ष के जैन समाज से एक अनुरोध।,
जागों जैन भाइयों जागों। भगवान महावीर ने कहाँ श्रावको को जागृक रहना चाहिए। मिथ्या श्रावकों को सोते रहना चाहिए। परन्तु वर्तमान में इसका उल्टा हो रहा है। अच्छे, प्रबुद्ध श्रावक सो रहे है। वे जागरुक नहीं है। वे यह कहकर पल्ला झाड़ रहे है कि हमको क्या करना है?.जो करेगा सो भरेगा। हम क्या कर सकते है। कौन हमारी सुनेगा। ये पंचम आरा है।अब ऐसा ही होने वाला है। कुएं में भांग पड़ गई है। इस आरें के अन्त में सब कुछ नष्ट होजायेगा। एक श्रावक एवम् श्राविका बचेगी। कुकुर मुत कि तरह आँख बन्द कर बैठ जाते हैं ।वर्तमान सुश्रावक जागृत रहने के बजाय सो रहे है।
जिन श्रावकों का सोते रहना ही
है अच्छा है वे सब जाग रहे है एवम् समाज मैं विसंगतिया एवम् विकृतियाँ फैला रहे है। पिछले 50 साल से समाज में स्मृद्धि बढ़ी, धनाढ्य वर्ग बढ़ा एवम् विकृतियों ने अपने पाव पसार ने शुरू किये।
व्यसनी श्रावकों कि भरमार होगई है । जागृत साधु समाज भी निद्रा गस्त होगया हैं ।
धनाढ्य वर्ग बगुला भक्त होगया एवं उसका बोल बाला मन्दिर, स्थानक, भवन, आदि में होगया। समाज में आदर्श वर्ग को चिराग लेकर ढूंढ़ना पड़ रहा हैं। समाज नेतृत्त्व हीन हो गया है।
नेतृत्त्व हीन समाज का इतर समाज में,
सरकार में कहीं कोई सुनने वाला नहीं है।सिवाय चिलपो मचाने के कुछ नहीं करसकता है।
वर्तमान सरकारें एवम् राजनितिज्ञ चाहते है कि भगवान महावीर की वाणी जन जन तक पहुँचे। संसार में जो आपा-धापी, मार-काट, एक दूसरे के माल को हडपने कि होड़ मची हुई हैं.उस पर अंकुश लगे। इन्हीं बातों को ध्यान में रखकर भारत सरकार ने भगवान् महावीर के 2550 निर्वाण महोत्सव के उपलक्ष्य में वर्ष 1975 में साउथ दिल्ली में 5 एकड का भूखण्ड भगवान् महावीर मेमोरियल समिति को दिया था।
सरकार का सोचना था कि भारतवर्ष का संपूर्ण जैन समाज इससे जुड़ेगा एवम् भगवान महावीर की वाणी को जन-जन तक पहुँचायेगा। कियोंकि भगवान् महावीर की वाणी की प्रासिंगता वर्तमान में इतनी ही है जितनी भूतकाल में थी।
महावीर मेमोरियल समिति चुनिंदा कुछ लोभी व्यक्तियों के चुंगल में फस गई एवं 50 वर्ष के पश्चात् भी वहीं के वहीं है। भूखण्ड का उपयोग नहीं होसका। कुछ जागरूक – श्रावकों ने न्यायालय का दरवाजा खट खटाया ताकि चुनिन्दा व्यक्ति बेहोशी से बाहर आये। प्रत्युत्तर में चुनिंदा व्यक्तियों ने न्यायालय के लिए विजन डाक्युमेन्ट ता:17.04.2018 को तैयार किया। दृष्टि दस्तावेज में भूखण्ड का उपयोग करने के लिए योजना बनाई।
भूखण्ड पर भवन निर्माण के लिए एवं भगवान महावीर की वाणी को जन जन तक लेजाने के लिए 250 करोड रूपये कि योजना बनाई। इसके लिए अर्थ इकट्ठा करने के लिए भी निम्न योजना बनाई।
- साधारण लाइफ मेम्बर सदस्य – 24000 प्रत्येक परिवार से एक – सदस्यता शुल्क Rs25000/-कुल 60 crore .
- विशेष सदस्य के लिए ग्यारह लाख प्रत्येक 1000 परिवार से कुल Rs110 /-करोड
- संस्थागत सदस्य एवम् दान से 40 करोड
- सरकारी ग्रान्टस से 40 करोड़
इस प्रकार 250 करोड़ चन्दा इखट्टा
कर 250 करोड़ खर्च करने कि योजना बनाई। लेकिन सात वर्ष पूरे होने पर भी क्रियान्वय के लिए कोई योजना नहीं बनी। मेरी जानकारी
के अनुसार वर्तमान में भी लगभग 150 स्मृद्धी शील व्यक्ति सदस्य है। धनाढ्य व्यक्ति इसके पदाधिकारी है। जिनके पास जैन- जैनत्त्व के विषय में सोचने -समजने का कोई समय नहीं है। वे अपने अपने व्यापार एवम् कारखानों में उलझे हुए हैं ।
मेरा भारतवर्ष के जैन समाज से निवेदन है कृपया नीन्द में से उठे।
जैनत्त्व को जन जन तक पहुँचाने कि योजना बनाये। आदर्श श्रावक एवम् सन्त समुदाय समाज में पनप रही विसंगति – विकृति के लिए ज्यादा जिम्मेदार है बनिसपत्त विकृत
मानसिकता वाले । उन्हें भविष्य की पीढ़ी कभी माफ नहीं करेगी।
समिति का पता ।।
भगवान् महावीर मेमोरियल समिति,
भगवान् महावीर केन्द्र,
साउथ केम्पस, दिल्ली युनिवसिटी
बेनीटो ज्यु ज्यारेज रोड, नई दिल्ली-21. के पते पर स्थापित है ।
कृपया दिल्ली में रहने वाले श्रावक स्थल का निरिक्षण करने का कष्ट करे
एवम् समीति के सदस्य बनने के लिए आवेदन करें। भारत भर में फैले हुए सब जैन बंधु इसके साथ जुड़ने कष्ट करे ।
विज़न डॉक्यूमेंट बहुत ही सुंदर बना हुआ है उसको क्रियान्वय करने के लिए आगे आए ।
सुगालचन्द जैन, चेन्नेई.
2-2-25.