स्थानक का भव्य उद्घाटन समारोह कर सकते है।

स्थानक का भव्य उद्घाटन समारोह कर सकते है। भीङ जुटा सकते है। अनेकोंनेक संत सतीया जी पधार सकते है। युवाचार्य जी प्रतिदिन 20-25 KM का उग्र विहार करके, विहार मार्ग में आने वाले स्थलो को बिना यथोचित समय दिये पधार सकते है। अनेकोंनेक अतिथि, विशिष्ट अतिथि पधार सकते है। मौके का एवं संत सतिया जी की उपस्थिति का फायदा उठाते हुए अथाह धन संग्रह कर सकते है। दान देने वालों का मान सम्मान कर सकते है।

लेकिन निर्ग्रंथ धर्म सभा में, विशेष कार्यक्रमों में, स्थानक के उद्घाटन के अवसर पर, दीक्षा- जन्म- स्मरण दिवस की सभा में सामायिक में बैठने वालों को कहां से लायेंगे?

जैसा कि बताया जा रहा है कि स्थानक का उद्घाटन है और युवाचार्य जी की दीक्षा के 44 वर्ष पूर्ण होने का अवसर है।

ऐसे नेक अवसर पर इस प्रवचन सभा में 44 लोग सामायिक लेकर नहीं है। जितनी संख्याबल में संत सतिया जी विराजमान है, उतने श्रावक सामायिक में नहीं बैठे है।

कोई जागरूक साधक सामायिक में बैठे भी क्यों ?

क्योंकि माइक का उपयोग हो रहा है। माइक के उपयोग को उचित बताने वाले माइक को स्पर्श नहीं करते है जबकि मोबाइल, लेपटॉप को स्पर्श करते है।

क्योंकि एलईडी लगायी गयी है।जिस पर कुछ दिखाया जाना है।

क्योंकि अनेक दानदाताओ का, लाभ लेने वालो का, निर्माण में सहयोग देने वालों का मान सम्मान करना है और करवाना है, जो कि सामायिक में कर नहीं सकते है, करवा नहीं सकते है।

क्योंकि जिन प्रवचन सभाओ में बैठने लिए आरामदायक सोफे कुर्सियों लगी हो, कालीन लगाया हो, वहां सामायिक लेकर गुरू चरणों में कोई कैसे बैठे ?

जागरूक साधक चिंतन करे कि ऐसे अवसरों पर, महापुरुषों की उपस्थिति में सामायिक लेकर बैठने वाले नहीं है तो स्थानक भवन का क्या उपयोग होगा ?