सच्ची दौलत पैसों में नहीं, संतोष और खुशियों में होती है।

एक बार एक अमीर व्यापारी अपने बेटे राजू को जीवन का असली मतलब समझाने के लिए एक गरीब किसान के घर ले गया।

किसान का घर साधारण था—कच्ची दीवारें, छप्पर की छत, और मिट्टी का आँगन। वहाँ किसान अपनी पत्नी और बच्चों के साथ खुशी से खाना खा रहा था। उनके चेहरों पर संतोष साफ झलक रहा था।

व्यापारी ने सोचा कि राजू को यह गरीबी देखकर सबक मिलेगा। वापस लौटते समय व्यापारी ने पूछा, “तो बेटे, क्या तुमने देखा कि ये लोग कितने गरीब हैं?”

राजू मुस्कराया और बोला, “हाँ पापा, मैंने देखा कि हमारे पास एक पूल है, पर इनके पास पूरा नदी है। हमारे बगीचे में कुछ पौधे हैं, पर इनके पास अनगिनत पेड़ हैं। हम रात में महंगे बल्ब जलाते हैं, पर ये लोग खुले आसमान के नीचे तारों की रोशनी में सोते हैं।”

यह सुनकर व्यापारी चुप हो गया।

राजू ने आगे कहा, “पापा, मुझे तो लगता है कि असली अमीर ये लोग हैं, क्योंकि इनके पास खुशियाँ हैं, संतोष है। हमारे पास तो बस चीज़ें हैं।”

व्यापारी को पहली बार अपनी दौलत का खोखलापन महसूस हुआ। उसने तय किया कि अब से वह अपनी संपत्ति का सही उपयोग करके दूसरों की मदद करेगा।

🔆 सीख: 🔆

💡 सच्ची दौलत पैसों में नहीं, संतोष और खुशियों में होती है।

✍️ दीपक जैन पाटनी इचलकरंजी

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🙏 🙏 जय जिनेन्द्र 🙏 🙏