वीगनिज्म बनाम जैन धर्म
🛑 सावधान बंधुओं 🛑
☸ “वीगनिज्म न तो जैनधर्म है न इसका कोई जैन संस्कृति से वास्ता है।
👉 यह तो छद्मस्थों द्वारा बताए गए डेयरी उत्पादनों में पनप रही आधुनिक हिंसा का एक दृष्टि से आधा अधूरा पाश्चात्य समाधान कहा जा सकता है।”
👉 जैन धर्म अनादि काल से शाश्वत, पूर्ण और केवली भगवान (सर्वज्ञ) द्वारा प्ररूपित सामायिक, दया, पौषध, संयम, त्याग, तप वाला धर्म है, जिसको समझना, पालना अजैन वीगनो की बौद्धिक क्षमता से परे की बात हो जाती है। ☸
👉👉 इसलिए वे जिनवाणी में सैधमारी करके हमारी पवित्र पावन छः काया की रक्षा वाली अहिंसा में घुस कर अजैन संस्कृति अपनाकर जैन होने की गलतफहमी पाल रहे हैं।
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**सादर जयजिनेंद्र साहब।**
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👉 **वीगनशैली के लोगों की टिप्पणियों में उनके अंदर का असली चेहरा, उनका तथाकथित धर्म, उनकी निवृत्ति सब बाहर आ रहे हैं।**
✅ क्योंकि हमारे आगमो में भगवान महावीर स्वामी के प्रमुख श्रावकों द्वारा हजारों पशु पालन का पूरा विधान,
(**उपासक दशांग सूत्र**)
✅ तीर्थंकर प्रभु का अन्य धाय माताओं का दूध पीने का उल्लेख
(**आचारांग सूत्र**)
✅ तीर्थंकर चक्रवर्ती के हजारों गायों के दूध पीने की परंपरा
(**जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र**)
✅ आनंद आदि धनवान श्रावकों द्वारा गाय, भैंस पालना,
(**भगवती सूत्र**)
✅ प्रभु महावीर के श्रावकों द्वारा विशेष गायों के घी का प्रयोग
(**उपासक दशांग सूत्र**)
🕎 देख लीजिए साहब। हमारी जिनवाणी के इन उल्लेखों का इन वीगन अजैनों के पास कोई भी जवाब नहीं है 🕎
✅ और भी अन्य जगहों पर हमारे पवित्र आगमो में दूध-दही आदि के 🌺 नित्य (णिच्चो) उपयोग नहीं करने के “विकृति” दोष को ये वीगन अजैन लोग मनगढ़ंत पशु हिंसा से जोड़ कर दूध, दही का उपयोग सदा के लिए निषेध बता कर, जैन धर्म के साथ तालमेल बिठाने की असफल कोशिश करते हैं।⁉️
**बंधुओं,**
‼️ महत्वपूर्ण तो यह है कि उपर्युक्त आगमो के मूल पाठों का इनके पास कोई एक का भी जवाब नहीं है ‼️
‼️ इसलिए इनकी खीज हम पर व्यक्तिगत झूठ, मूठ की अभद्र, निम्नस्तरीय, असभ्य टिप्पणियों के सिवाय इन हमारे प्रेमी वीगन भाइयों के पास कोई चारा भी तो नहीं है
👉👉 करें भी तो क्या करें, हमारे शास्त्रों को झूठा कह कर हमें गालियां देने के अलावा इनके पास कोई जोर भी नहीं है।
अधिक से अधिक हमें आगम के नाम पर झूठ फैलाने वाला कह दो बस
👉👉 प्रमाण तो आगम श्रद्धा और अध्ययन करने वालों के लिए होते हैं साहब ‼️
👉👉 आज देश में हम जैनियों द्वारा संचालित हजारों गौशालाएं जिनमें पशु प्रेमी अपनी करुणा, दया की पालना करते हैं।
👉👉 वीगनशैली में इन मूक पशुओं के बेसहारा करने के बाद की कोई संरक्षण की भावी सोच भी तो नहीं है।
⁉️ हां, दूग्धादि उत्पादन में यदि कोई किसी प्रकार की पशु हिंसा, कृत्रिम गर्भाधान, बछड़े को दूध से वंचित रखने आदि की हिंसा करता है, तो कर्म बंधन और उनकी संलिप्तता के कारण उसे फल भोगना पड़ेगा।
👉👉 इससे कोई नहीं बच सकता। यह शाश्वत कर्म सिद्धांत है।
हम जैनों को भी कोई एतराज़ नहीं है ⁉️
**बंधुओं,**
⁉️ मात्र इस एक बिंदु को लेकर हमारे छः काया के संरक्षण वाली, तीन करण-तीन योग से सावद्य त्याग की हमारी निरवद्य शाश्वत तथा व्यापक जैन साधना को नहीं समझते हुए, अनावश्यक रूप से पाश्चात्य वीगन अजैन फैशन का जैन धर्म से जोड़ने का इनका प्रयास बिल्कुल गलत है।⁉️
👉👉 हमारा जैन-धर्म मात्र विगय त्याग और पशु हिंसा वाला धर्म नहीं है।
👉👉 यह तो विश्व का सर्वश्रेष्ठ और बहुत बहुत व्यापक सूक्ष्म अहिंसा वाला धर्म है।
👉👉 प्रणीत भोजन का केवल नित्य सेवन की मनाही हमारे आगमो में किन्हीं कारणों से जरूर है।
🌺 लेकिन पशु हिंसा का किंचित मात्र भी जिक्र हमारे पवित्र शास्त्रों में नहीं है। 🌺
👉👉 हमारे श्वेताम्बर, दिगंबर सभी साधु, साध्वी, श्रावक, श्राविका दूध, दही आदि हजारों वर्षों से ग्रहण करते आ रहे हैं।
👉 जो जैन धर्म में श्रद्धा रखता है वह आगमो के अनुसार अपने आप त्याग प्रत्याख्यान करता है।
उसे किसी की सलाह की जरूरत नहीं होती। वह दूध, दही, घी का भी त्याग कर सकता है। ✅
🛑 किसी दूसरे साधर्मी को इतना ध्यान रखने की आवश्यकता ही नहीं होती हमारे जिनशासन में। 🛑
☸ हम जैनी अपने स्वयं का आत्मावलोकन करते हैं और तदनुसार अपने अवगुणों को निकालने का प्रयास करते हैं।
यही तो जैन-धर्म है। ☸
🌺 न स्वास्थ्य,
न चिकित्सा,
न वनस्पति,
न अनंतानंत काय का भोजन,
न पशु हिंसा।
कुछ भी नहीं। 🌺
👉 जहां हिंसा नजर आती है, उससे दूर हो जाओ, भाई ‼️
त्याग करो और कषाय आदि दोषों का पहले वर्जन तो करो। 🌺
👉👉 हम जैनी दूसरों पर अनावश्यक टिप्पणियां और कुतर्क नहीं करते हैं,
👉👉 न दुनिया भर के पशुओं की हिंसा के फोटो एलबम दिखा दिखा कर कुतर्क देते हैं।
🛑 निम्न स्तरीय टिप्पणियों के संस्कार हम जैनियों में नहीं होते हैं।
हम इसे असभ्यता और पाप समझते हैं 🛑
👉👉 हम तो हमारे जैन आगमों और साहित्य में श्रद्धा रखते हुए सर्वज्ञ प्रभु की निरवद्य आज्ञा का पालन करते हैं।
**क्षमा याचना।**
👏👏👏👏👏
**विनीत,**
डॉ. जयप्रकाश जैन
जोधपुर
📞 9414722141