कई दिनों से मेरे मन मस्तिष्क में एक शंका चल रही है

कई दिनों से मेरे मन मस्तिष्क में एक शंका चल रही है कि उपरोक्त प्रतिमाजी जिसे हम नागफणी पार्श्वनाथ भगवान के नाम से पूजा अर्चना करते आ रहे हैं कहीं हम गलती से धर्णेन्द्र देव को ही पार्श्वनाथ समझकर तो नहीं पूज रहे हैं।

पाषाण की काली प्रतिमाजी जिसे हम पार्श्वनाथ भगवान समझ रहे हैं, उस प्रतिमा के चरणों में रखी हुई पद्मावती की प्रतिमाजी व नागफणी पार्श्वनाथ की प्रतिमाजी में मुझे तो कोई फर्क नजर नहीं आ रहा है। पूरे भारत वर्ष में पार्श्वनाथ भगवान की ऐसी प्रतिमाजी आज तक कहीं भी देखने को नहीं मिली।

फिर भी ग्रुप में कोई ज्ञानी या विद्वान मेरी शंका का समाधान करे कि उपरोक्त धर्णेन्द्र देव की प्रतिमाजी को ही कहीं हम पार्श्वनाथ भगवान समझकर तो नहीं पूजा अर्चना कर रहे हैं?

अगर वास्तव में यह धर्णेन्द्र देव की ही प्रतिमाजी है तो इनके चरणों के पास इनकी साइज से बहुत ही छोटी पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा विराजमान हैं, जिससे जिनेंद्र देव का अभिनय हो रहा है एवं धर्णेन्द्र देव को वेदी पर मूलनायक की जगह विराजमान करके भी कहीं अविनय तो नहीं कर रहे हैं?

ऐसी प्रतिमाजी विराजमान करके हम सही कर रहे हैं या गलत कर रहे हैं?
कृपया शंका का समाधान कीजिए…

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