🙏• मैत्री विचार •🙏
🙏• मैत्री विचार•🙏
•मुनिश्री क्षमासागर जी•
—————–
“योगः कर्म सुकौशलम्”
अर्थात् “कर्म की कुशलता ही ध्यान है, योग है ”
आज पूज्य मुनिश्री क्षमासागर जी महाराज समझाते हैं कि जैसे हम दूसरों की शारीरिक हानि को देखकर स्वयं को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं, वैसे ही उनके क्रोध को देखकर हम क्यों क्रोध से भर जाते हैं ??
यदि हम भीड़ का अनुसरण करेंगे तो पतन की ओर जाएंगे, इसलिए आत्मचिंतन कर शुभ कर्मों में लगना ही श्रेष्ठ है।
सांसारिकता में फंसकर पूर्व संचित शुभ कर्मों का दुरुपयोग करने से पाप ही बढ़ता है, जबकि परोपकार से शुभ कर्म बढ़ते तथा अशुभ कर्म घटते हैं इसलिए हमें अपने और दूसरों के कर्मों को सही दृष्टिकोण से समझकर विवेकपूर्ण जीवन जीना चाहिए |||
—————–
https://youtu.be/ZffbEC933iA?si=5vRhoaVQGeoPywiP
————–
19-02-2025
————–
मैत्री समूह
~9425424985
~9407420880 (WhatsApp only)
~samooh.maitree@gmail.com
For Latest Updates, Please Visit / Join:
▫️ chat.whatsapp.com/EQehn7aMWcv4xO4rVa3I9M
▫️ maitreesamooh.com
▫️ facebook.com/maitreesamooh
▫️ instagram.com/samoohmaitree
▫️ twitter.com/MaitreeSamooh