जिनवाणी ज्योतिष व वास्तु
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🟥जिनवाणी ज्योतिष व वास्तु 🟥
🙏नमस्कार। जय जिनेंद्र । 🙏
आज भगवान सुपार्श्व नाथ जी के मोक्ष कल्याणक और चन्द्रप्रभु जी के केवलज्ञान कल्याणक महोत्सव की आप सभी को मंगलमय शुभकामनाएं।
आठवें तीर्थंकर चंद्रप्रभु के पिता का नाम राजा महासेन तथा माता का नाम सुलक्षणा था। आपका जन्म पौष कृष्ण पक्ष की बारस के दिन चंद्रपुरी में हुआ। पौष कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को आपने दीक्षा ग्रहण की तथा फाल्गुन कृष्ण पक्ष सात को आपको कैवल्य ज्ञान की प्राप्ती हुई। भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की सप्तमी को आपको सम्मेद शिखर पर निर्वाण प्राप्त हुआ। जैन धर्मावलंबियों अनुसार आपका प्रतीक चिह्न- अर्द्धचंद्र, चैत्यवृक्ष- नागवृक्ष, यक्ष- अजित, यक्षिणी- मनोवेगा है।
चन्द्रप्रभ जी ने भी अन्य तीर्थंकरों की तरह तीर्थंकर होने से पहले राजा के दायित्व का निर्वाह किया। साम्राज्य का संचालन करते समय ही चन्द्रप्रभ जी का ध्यान अपने लक्ष्य यानि मोक्ष प्राप्त करने पर स्थिर रहा। पुत्र के योग्य होने पर उन्होंने राजपद का त्याग करके प्रवज्या का संकल्प किया।
एक वर्ष तक वर्षीदान देकर चन्द्रप्रभ जी ने पौष कृष्ण त्रयोदशी को प्रवज्या अन्गीकार की। तीन माह की छोटी सी अवधि में ही उन्होंने फ़ाल्गुन कृष्ण सप्तमी के दिन केवली ज्ञान को प्राप्त किया और धर्मतीर्थ की रचना कर तीर्थंकर पद उपाधि प्राप्त की। भाद्रपद कृष्णा सप्तमी को भगवान ने सम्मेद शिखर पर मोक्ष प्राप्त किया।
ॐ ह्रीं श्री सुपार्श्वनाथ जिनेन्द्राय नमो नमः।
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