महावीर जयंती पर हर स्थानक में महोत्सव हो

भाइयों और बहनों
प्रधान जी महामंत्री जी एवं समस्त सदस्य गण
श्री एस एस जैन सभा
श्री श्वेतांबर स्थानकवासी जैन संघ
सादर जय जिनेंद्र

यों तो आप सभी सुज्ञ, अनुभूति संपन्न है। फिर भी जो मेरे विचार बने हैं वो कर्तव्य वश आप तक पहुंचा रहा हूं।

हमारे धर्म स्थानक में प्रतिदिन महावीर वाणी, महावीर भक्ति प्रवचन आदि होते हैं। लेकिन महावीर जयंती के दिन सामूहिक प्रवचन, महावीर जुलूस के नाम पर धर्म स्थानकों में कुछ नहीं होता। जबकि जैन मंदिरों में तो भव्य कार्यक्रम होते हैं। पर जैन स्थानक खाली पड़े रहते हैं। कहीं-कहीं संत सतियों जी हो भी तो श्रावक लोग जुलूस में जाने का कह कर प्रवचन में नहीं आते। आज हालात यह है कि लोग प्रवचन में भी नहीं आते तो जुलूस में भी कम ही आते हैं। बहुत से लोग तो घूमने चले जाते हैं।

अतः मेरा यही निवेदन है कि देशभर में कहीं भी जैन स्थानक हो, महावीर जयंती के दिन महाराज हो या ना हो साफ सफाई के साथ भले 40 मिनट का ही कार्यक्रम हो, जरूर होना चाहिए।
उस स्थानक में जितने सदस्य हैं, उन सबको सवेरे सवेरे निश्चित समय पर आमंत्रित किया जाए और महाराज श्री हो तो वो या फिर कोई गृहस्थ 15 मिनट के लिए प्रभु महावीर के जीवन के एक-दो प्रसंग सुनाए, 11 बार नवकार मंत्र का सामूहिक जाप हो।

श्रमण भगवान महावीर स्वामी की जय, फिर संघ के प्रमुख व्यक्ति से या फिर जो अधिक दान दे उससे ध्वजारोहण कराया जाए।
ध्वजारोहण करती वक्त जन गण मन अधिनायक गीत की तरह हमारा भी एक जैन राष्ट्रीय गीत के रूप में सामूहिक गीत गाया जाए।

वो गीत यह है-

जो भगवती त्रिशला तनय,
सिद्धार्थं कुल के भान है।
लिया जन्म क्षत्रिय कुण्ड में,
प्रिय नाम श्री वर्धमान है।
जो स्वर्ण वर्ण प्रलंब भुज,
सर सिज नयन अभिराम है।
करूणा सदन मर्दन मदन,
आनंद मय गुणधाम है।
जो अनन्त ज्ञानी है प्रभु,
और अनंत शक्तिमान है।
किस मुख से गुण वर्णन करूं,
मेरी तो एक जबान है।
योगीन्द्र मुनि चिन्तन निरत,
जिनको कि आठो याम है।
उन वर्धमान जिनेश को
मेरा अनेकों प्रणाम है।।

इसके बाद जयकारे बुलाए जाएं।

श्री वर्धमान स्वामी की जय
श्रमण भगवान महावीर स्वामी की जय
सन्मति तीर्थ महावीर स्वामी की जय
ज्ञात पुत्र भगवान महावीर स्वामी की जय
चरम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी की जय
सिद्धार्थ सुत भगवान महावीर स्वामी की जय
परम उपकारी भगवान महावीर स्वामी की जय
लोक प्रकाशक भगवान महावीर स्वामी की जय

आदि जयकारे बुलाकर जितने भी भाई-बहन आए, उन्हें मोदक की प्रभावना दी जाए। ताकि घर के हर सदस्य को प्रसाद के रूप में मिले । हमारे लिए तो धर्म स्थानक ही मंदिर है, वहां से मिली प्रभावना का प्रसाद परिवार के सभी सदस्यों के लेने पर सभी में सुख शांति समृद्धि का विस्तार होगा।

जिस प्रकार 15 अगस्त को छुट्टी होते हुए भी बच्चों को 1 घंटे के लिए बुलाया जाता है। एक अध्यापक राष्ट्र के बारे में भाषण देते हैं फिर ध्वजारोहण होता है, राष्ट्रीय गीत गाया जाता है। फिर लड्डुओं का वितरण होता है।

इसी प्रकार महावीर जयंती पर हर स्थानक में कुछ न कुछ धार्मिक अनुष्ठान होना ही चाहिए।

निवेदक
नरेश आनंद प्रकाश जैन
प्रधान दिल्ली जैन महासंघ