।।जैन दर्शन के चारों संप्रदायों का संघठन ।।
मुझे एक दोस्त ने बताया कि इश्लाम धर्म के दो मुख्य धारायें सिया और सुन्नी ने मिलकर एक संघठन का गठन क्या हैं। जिसका नाम” शिया-सुन्नी युनाइटी आर्गेनाईजेसन है”। मैंने गूगल में तलाशा एवम् पाया कि यह सही है। वैसे तो सिया-सुन्नी अलग अलग इस्लामी विचार धारा के हैं ।इनमें कलह होती रहती है ।फिर भी जब बात इश्लाम की आती है तो ए आपस में एक होकर विरोध करते है। इस कारण से कोई भी व्यक्ति, या लेखक, एवं समाज इश्लाम के बारे में एवम् इश्लाम को मानने वालों के बारे में कोई प्रतिख बात लिखने की हिम्मत नहीं करता है।
परन्तु, हम देखते है कि जैन दर्शन के विषय में ,उनकी मान्यताओं ,आदि के बारे में कोई कुछ भी लिख देता हैं।मंदिरों पर क़ब्ज़ा ,प्रतिमाओं से खिलवाड़ आदि भी करते है ।जिससे जैन दर्शन में श्रद्धा रखने वालों के मन को, व हृदय को चोट पहुँचती हैं। थोड़ा बहुत शोर शराबा होता एवम फिर बात ठण्डे बस्ते में चली जाती है। एक जुट होकर अपनी आवाज नहीं उठाते है।
क्यों कि हम अलग अलग फिरको में बटें हूँए हैं ,बिखरे हुए हैं ।
हमारी विचारधारा एक है, परन्तु हम अलग अलग है। हमें न अपने पर न अपने धर्म पर, गर्व है। हमें ‘गर्व है सिर्फ अपनी खुद की शान शौकत पर। दर्शन ही न रहेंगा तो कैसे बचेगी व्यक्तिगत शान और शौक़त । हमें जागना चाहिए।
दिगंबर , मंदिमार्गी , स्थानकवासी , तेरापंथी -हम सब को एक होकर अपनी एक संस्था बनानी चाहिए । जैन दर्शन के बारे में कोई प्रथिक बात करे तो एक साथ आवाज़ उठानीं चाहिए । संगठन में शक्ति होती है ।संघठन जैन दर्शन एवं संस्कृति की रक्षा के लिए कटिबद्ध हो ।
कृपया चिन्तन मनन करें।
सुगालचन्द जैन
चेन्नई – 17.08.24
Cultivate good practice till it becomes a habit.