अगर महाराज साहेब आदेश दे तो नीचे लिखी बाते संभव होनेमे टाइम नही लगेगा
अगर महाराज साहेब आदेश दे तो नीचे लिखी बाते संभव होनेमे टाइम नही लगेगा हर साल कम से कम 5 वर्ल्ड क्लास स्कूल ओर 5 वर्ल्ड क्लास multi-speciality हॉस्पिटल बना सकते है सिर्फ जैनों के लिए….! ओर कम से कम 5000 नए जैन बना सकते है…! बस चातुर्मास टीवीकी अनावश्यक आडम्बरों को रोकना है, हर साल Rs.4000 करोड़ रूपए बचाना है…!
हर साल सिर्फ चातुर्मास में पुरे देश भर में चार महीने में Rs.4000 करोड़ – Rs.5000 करोड़ रूपए खर्च किये जा रहे है…! जैन धर्म के बच्चे शिक्षा के क्रिस्चियन स्कूलों में ओर जैन इलाज के लिए मुस्लिम हॉस्पिटलो में जा रहे है. फिर भी हम ना अच्छे वर्ल्ड क्लास स्कूल बना रहे है,ना हॉस्पिटल बना रहे है…! अगर देश भर के चातुर्मास में होने वाली अनावश्यक आडम्बरों को बंद कर दिया जाए तों कम से कम हर साल 5 वर्ल्ड क्लास स्कूल ओर 5 वर्ल्ड क्लास multi-speciality हॉस्पिटल सिर्फ जैनों के लिए बना सकते है. पुरे देश भर में 3-4 लाख जैन परिवार गरीबी रेखा के निचे जी रहे है, यानी 12-15 लाख गरीब जैन पुरे देश में है…! उनके स्वास्थ ओर शिक्षा के बारेमे किसी को चिंता है…? देश भर में कम से कम 50000 जैन परिवारों के पास घर/मकान नहीं है, अगर है तों भी जैन स्वाभिमान से घर में रहे उस लायक़ नहीं है. चातुर्मास के आडम्बरों को बंद कर दिए तों कम से कम हर साल नए 1000 घर/मकान बनाके गरीब जैनों को दे सकते है. देश भर में हज़ारों प्राचीन जैन मंदिर खण्डार के रुप पढ़े है, मंदिरों में कुत्ते बिल्लियाँ घूम रहे है, जीर्णोद्धार के लिए मंदिर तड़प रही है, हज़ारों तीर्थंकरों के मुर्तिया अनाथ हो कर इधर उधर बिखरे है. किस को चिंता है…? सब को राष्ट्रसंत बनना है, पद्म भूषण, पद्म विभूषण पाना है, बस सब जगह अपना नाम देखना है….! स्पर्धा लगी हुवी है किसके चातुर्मास में ज्यादा पैसे कौन खर्च करता है…! इस से धर्म का फायदा नहीं नुकसान ही होगा…! घटतीं जनसंख्या के उपर हमारे पास क़ोई योजना है..! ना धर्म का प्रचार कर रहे है, ना प्रसार कर रहे है, ना नए जैन बना रहे है, बस सबको अपनी अपनी नाम की लगी हुवी है..!
धर्म मे धर्म कम, राजनीति ज्यादा हो रही है. ऐसा लगता है, देश से ज्यादा, हमारे धर्म में राजनीति ज्यादा होती है, समाज के वरिष्ठ, अग्रणी अनपड़ लोगों ने राजनीतिक पार्टियों के अध्यक्ष की तरह अपने नाम ओर स्वार्थ के लिए समाज ओर धर्म को अच्छी तरह से इस्तेमाल कर रहे है…! बताने ओर बोलने जैसा बहुत कुछ है. भविष्य के बारेमे चिंता करो, धर्म का मूल सिद्धांत से चलो, जैन धर्म में आडम्बर का क़ोई स्थान नहीं है…! आडम्बरों से कर्म बंधन होता है..!
पूरी रक्कम ना सही चढ़ावे की ७०% रक्काम भी सामाजिक काम में आजाय तोभि काम आसान होगा
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