दिल्ली राज्य अल्पसंख्यक आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों के पद एक साल से खाली हैं।

दिल्ली राज्य अल्पसंख्यक आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों के पद एक साल से खाली हैं। अब तक न तो अध्यक्ष पद और न ही सदस्य पद पर जैन समाज को प्रतिनिधित्व मिला है। फिर भी समाज इतनी गहरी नींद में क्यों है?

दिल्ली राज्य सरकार ने 2008 में ही जैनों को अल्पसंख्यक धर्म का दर्जा दिया था, और बाद में 2014 में राष्ट्रीय स्तर पर भी जैन धर्म को अल्पसंख्यक धर्म का दर्जा प्राप्त हुआ। 2008 से लेकर अब तक, यानी 2024 तक, एक बार भी दिल्ली राज्य अल्पसंख्यक आयोग में जैन समाज को प्रतिनिधित्व नहीं मिला है। इस आयोग में तीन सदस्यों की एक समिति होती है, जिसमें एक अध्यक्ष और दो सदस्य होते हैं। पिछले एक साल से ये तीनों पद खाली हैं, और इसके बावजूद, अब तक जैन समाज ने इस अवसर का लाभ नहीं उठाया है।

यह एक स्वर्णिम अवसर है, और अभी भी समय निकला नहीं है। दिल्ली के समस्त जैन समाज को एकजुट होकर यह सुनिश्चित करना चाहिए कि दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष पद पर जैन समाज को प्रतिनिधित्व मिले। इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए, दिल्ली के मुख्यमंत्री, दिल्ली के गवर्नर और राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को पत्र भेजा गया है। यदि दिल्ली सरकार जैन समाज को अध्यक्ष पद नहीं देती है, तो इसके खिलाफ दिल्ली में आंदोलन भी किया जाएगा।

यदि जैन समाज को यह अध्यक्ष पद मिलता है, तो सरकार की विभिन्न योजनाओं का सीधा लाभ समाज को मिलेगा। शिक्षा, रोजगार और प्राचीन मंदिरों के संरक्षण और विकास के लिए अधिक से अधिक संसाधन उपलब्ध हो सकेंगे। इसका सीधा लाभ जैन समाज को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक रूप से सक्षम बनने में होगा।

MissionJainism
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महेश जैन
ग्लोबल महासभा