जैन समाज को संगठित करने का ऐतिहासिक कदम: राष्ट्रीय जिन शासन एकता मंच की स्थापना

सागर: मध्यप्रदेश के जैन समाज ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की तर्ज पर राष्ट्रीय जिन शासन एकता मंच की स्थापना की। मुनिश्री सुधासागर जी महाराज के सानिध्य में यह आयोजन हुआ। यह संगठन जैन समाज को संगठित करने और धर्म संस्कृति की रक्षा करने वाला सबसे बड़ा संगठन होगा।
राष्ट्रीय जिन शासन एकता मंच की स्थापना की इस खबर ने देशभर की जैन समाज में उत्साह की लहर पैदा कर दी है।
मुनिश्री का आह्वान: जैन समाज को क्षत्रियों की तरह व्यवहार करना होगा! क्योंकि हमारे पूर्वज वैश्य नहीं क्षत्रिय हैं।
इस अवसर पर मुनिश्री ने कहा, कि “जैन समाज को अपनी धर्म संस्कृति की रक्षा करने के लिये संगठित होना ही होगा और क्षत्रियों की तरह व्यवहार करना होगा।”
क्या-क्या होगा –
१. संगठन का एक ध्वज होगा जिसका रंग केसरिया होगा। ध्वज में ऊपर तीन लोक का नक्शा, बीच में अहिंसा परमोधर्म और नीचे परस्परोग्रहजीवानाम लिखा होगा।
२. संगठन का नारा – जैनम् जयतु शासनम, बन्दे भरत भारतम् होगा।
३. संगठन की प्रार्थना – मेरी भावना होगी।
४. यह संगठन ग्रामीण, तहसील, जिला, प्रदेश और राष्ट्र स्तर पर होगा।
५. इसी तरह महिलाओं और युवाओं का संगठन बनेगा।
६. संगठन की शाखा रोजाना लगाना अनिवार्य है।
7. संगठन की एक ड्रेस होगी। एकझंडा होगा।
संगठन के कार्य –
१. धर्म संस्कृति की रक्षा करना। मंदिरों, तीर्थ क्षेत्रों की रक्षा करना इस संगठन का प्रमुख कार्य होगा।
2. इसके सदस्य स्वयं सेवक होंगे और हर स्थिति से निबटने के लिये सदैव तैयार होंगे।
राष्ट्रीय जिन शासन एकता मंच के मुख्य उद्देश्य:
– धर्म संस्कृति की रक्षा करना
– मंदिरों और तीर्थ क्षेत्रों की रक्षा करना
– जैन समाज को संगठित करना
– मंदिर के बाहर यह संगठन कार्य करेगा। मंदिर की व्य्वस्थाओं में यह संगठन दखल नहीं देगा।
– संवैधानिक संस्थाओं के चुनाव के समय यह मंच सक्रिय रहेगा।
यह खबर जैन समाज के लिए एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है। जिन शासन के शेर की आवाज को बुलंद करने का संकल्प संपूर्ण समाजजनों ने लिया।
कार्यक्रम संयोजक प्रमोद जैन हिंमाशु, अध्यक्ष राकेश गोहिल थे।
कार्यक्रम का संचालन अमित जैन पडरिया ने किया।
अंचल से आये समाजजनों ने अपना समर्पण भाव पूज्य मुनिश्री के समक्ष रखा।
रवि जैन, पत्रकार
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