नालंदा विश्वविद्यालय से भी पूर्व जैन धर्म, दर्शन की शिक्षा देने वाले “गुणशिला विश्वविद्यालय” और कुंडलपुर में शारीरिक प्रशिक्षण देने वाले संस्थान की हो खोज

बिहार में 4-5वी सदी में स्थापित नालंदा विश्वविद्यालय से भी पूर्व 2500 वर्ष प्राचीन भगवान महावीर के जीवनकाल में महिलाओं को जैन धर्म, दर्शन की शिक्षा देने वाले “गुणशिला विश्वविद्यालय” और कुंडलपुर में शारीरिक प्रशिक्षण देने वाले संस्थान की हो खोज….विश्व जैन संगठन व्हाट्सएप: 8800001532

‘नालंदा विश्वविद्यालय विधेयक – 2010’ को लोक सभा में मंजूरी हेतू दिनांक 26 अगस्त 2010 को क्र. 18 पर पेश विधेयक पर चर्चा करते हुए
चित्तौड़गढ़ सांसद डॉ. गिरिजा व्यास ने कहा कि :-
“मैं गुणशिला विश्वविद्यालय की जिक्र इसलिए करना चाहती हूं कि आज हम महिला शिक्षा की बात करते हैं, लेकिन गुणशिला जो ईसा से 500 वर्ष पूर्व बिहार राज्य में ही स्थित था, वहां मुख्य रूप से जैन धर्म-ओ-दर्शन का बिंदु था, वहां महिला शिक्षा की व्यवस्था थी! कुंडलपुर में ईसा से 500 वर्ष शारीरिक प्रशिक्षण संस्थान था जिस पर आज आश्चर्य होता है कि उस जमाने में भी इस तरह के इंस्टीट्यूट हो सकते थे।“

डॉ. गिरिजा व्यास ने नालंदा विश्वविद्यालय में दी जाने वाली शिक्षा हेतू सभी धर्मो के सिद्धांतों का उल्लेख करते हुए जैन नवकार महामंत्र का विशेष रूप से उल्लेख किया और कहा कि :-
“जिस प्रकार से हमारे जैन धर्म के णमोकार मंत्र में नमो अरिहन्ताणं, नमो सिद्धाणं, नमो आयरियाणं और नमो सव्वसाहूणम के द्वारा सभी धर्मों के प्रति जो आदर की भावना सिखाई, नालन्दा विश्वविद्यालय उसके अनुरूप होना चाहिए!”

“शिक्षा का एक आवश्यक लक्षण है संवेदनशीलता। वह संवेदनशीलता जो विश्वविद्यालयों से खो गयी है, उसको नालन्दा विश्वविद्यालय के माध्यम से फिर से पुनर्स्थापित करेंगे जिससे अन्य विश्वविद्यालय भी सीखेंगे, ऐसा मेरा विश्वास है।”

इसीलिए संगठन की मांग है कि नालंदा विश्वविद्यालय में अतिशीघ्र जैन दर्शन, विद्या और प्राकृत भाषा पाठ्यक्रम शीघ्र आरंभ किए जाए।

“किसी ने ठीक कहा है कि विगत नहीं मरता है, उससे वर्तमान का फल निकलता है और वह भविष्य का बीज होता है।”