जैन मूर्तियों में घोटाला

अब जैन मूर्तियों में घोटाला

॰ जांच रिपोर्ट अनुसार प्रतिमाओं की लाइफ नहीं और शिल्प शास्त्र सम्मत नहीं, अखंड नहीं

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॰ बड़े तीर्थों पर प्रतिष्ठित सदोष प्रतिमायें : मुनि श्री सुधा सागरजी
॰ बड़े बाबा कमेटी का दावा कि संघ को किया जा रहा बदनाम (कौन कर रहा?),
हमारी सब प्रतिमायें ठीक
॰ प्रतिमायें विदेशों से किसने आयात की, उठ रहे कई सवाल, जवाब मांगता समाज
21 जून 2024// जयेष्ठ शुक्ल पूर्णिमा //चैनल महालक्ष्मी और सांध्य महालक्ष्मी/शरद जैन /
‘ऐसी मूर्तियां सारे भारत में आ गई हैं, सावधान रहें, कहीं ऐसा ना हो, आप करे अच्छा काम और हो जाये उल्टा, फिर आप भगवान को बदनाम करोगे। सदोष भगवान के लिये आगम कुछ नहीं कर सकता और यह कहते हुए मुनि पुंगव श्री सुधा सागरजी ने एक बड़ा खुलासा कर दिया कि अब जैन मूर्तियों के नाम पर घोटाले हो रहे हैं।’
उन्होंने कहा कि ‘ऊपर बिल्कुल सीधी, पर अंदर कौन-सा काला मैटेरियल भर दिया, बाहर से शाइनिंग, कुछ दिनों में बिगड़ जाती है। ऐसी मूर्तियां अगर बैठी हैं, तो उनका विसर्जन हो सकता है, नये सिरे से ढाली जा सकती हैं। संसार है, सदोष हो जाता है, असली-नकली माल संसार में मिलता है। चूक हो जाती है।’
इसका उपाय बताते हुये उन्होंने कहा कि इसका एक ही तरीका है कि उन मूर्तियों को यथायोग्य प्रतिष्ठाचार्य बैठकर विसर्जन करें और पुन: उनको ढलवा करके निर्दोष प्रतिमाओं को, उसी रूप में स्थापित किया जाये और नई प्रतिमायें जिनकी प्रतिष्ठा नहीं हुई हो, उनको कदापि प्रतिष्ठित न करें, चाहे करोड़ों का नुकसान हो गया हो, तो हो जाने दो, लेकिन गलत मूर्ति मत स्थापित करना। अभी तो करोड़ ही गये हैं, बैठाने के बाद, तो पता नहीं कितना नुकसान हो जाये। जांच करवा करके निर्दोष प्रतिमायें ही बैठायें।
चैनल महालक्ष्मी के पास ऐसी अनेक प्रतिमाओं की फोटो हैं, जो खोखली सी दिखती हैं, मूर्तियों पर काले दाग उभर गये हैं, ऐसी एक प्रतिमा की जांच करवाई गई, तो उससे भी प्रमाणित होता है कि इसमें कोई बड़ा घोटाला हुआ है, जो अनजाने में भी हो सकता है। ऐसी प्रतिमायें अपने भारत की बजाय ताइवान से निर्यात की गई, जहां इनको बौद्ध की पद्धति के अनुरूप संभवत: ढाला गया, जो मुनि पुंगव सुधा सागरजी के अनुसार पोली बनती हैं।
चैनल महालक्ष्मी के पास 12 अप्रैल 2024 की, जियोटेक सर्विसेज प्रा. लि. की महावीर स्वामी की एक प्रतिमा की सात पृष्ठ की जांच रिपोर्ट है, जिसमें कहा गया है कि जांच के लिये दो लैब में भेजा गया। रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि प्रतिमायें एक बार में नहीं ढाली गई। बाहर और अंदर का अलग-अलग कोर है, जो बड़ा दोष है, और शिल्प शास्त्र के अनुसार नहीं है, न ही ऐसी प्रतिमायें अखण्ड कहला सकती हैं। इनमें टिन की मात्रा तय मानक से कहीं अधिक है।
बड़े बाबा कमेटी की सफाई
इसका खुलासा होते ही श्री बड़े बाबा मंदिर निर्माण समिति ने अहस्ताक्षरित अपना स्पष्टीकरण 10 जून 2024 को निकाला है कि हमारे यहां सहस्त्रकूट में विद्यमान 1008 प्रतिमायें पूर्ण अष्टधातु से निर्मित हैं, इनमें किसी प्रकार की मिलावट नहीं की गई। जानकारी के लिये क्षेत्र पर आ कर देख सकते हैं। जानबूझकर संघ को बदनाम करने का षड्यंत्र किया जा रहा है।
सान्ध्य महालक्ष्मी एक बड़े संत के दावे को ध्यान में रखते हुए विभिन्न कमेटियों (बड़े बाबा सहित) निम्न प्रश्नों के समाज हित में सार्वजनिक जवाब की अपेक्षा करता है:-
1. सभी कमेटियां, जहां ऐसी प्रतिमायें विराजमान की गई, स्पष्ट करें कि कहां से बनवाई गई हैं, देश में या विदेश में (चीन / ताइवान)
2. अगर बाहर से मंगवाई गई, तो क्या पहले उनकी एक नमूने की कोई जांच करवाई गई थी?
3. एक प्रतिमा की जो जांच रिपोर्ट आई है, क्या वह अप्रमाणिक है?
4. अगर नहीं तो, उसी जगह से, उसी सांचे में अगर अन्य प्रतिमायें बनी होंगी और क्या वो सदोष नहीं होंगी?
5. अगर संशय हुआ है, तो सभी को अपने यहां की किसी एक प्रतिमा की जांच करवाकर, रिपोर्ट सार्वजनिक करनी चाहिये।
6. मुनि श्री ने स्पष्ट कहा है कि मंदिर में सदोष प्रतिमायें प्रतिष्ठित नहीं होनी चाहिये।
7. यह कह देना, कि संघ को बदनाम किया जा रहा है, या कोई दूसरी कमेटी चुप्पी धार ले, तो हल नहीं निकलेगा, सान्ध्य महालक्ष्मी के पास ऐसी 10-12 प्रतिमाओं के फोटो हैं, जिन पर काले दाग हैं, और प्रतिष्ठा को ज्यादा समय नहीं हुआ है।
इसकी पूरी जानकारी यू-ट्यूब चैनल महालक्ष्मी के एपिसोड नं. 2763 में
देख सकते हैं – ‘नकली प्रतिमा की असली रिपोर्ट’।