🪷(108) श्री कामितपूरण पार्श्वनाथ (उन्हेल जिला उज्जैन म. प्र.)
🪷गांव के बीचो बीच स्थित भव्य जिनालय में स्थापित 25” ऊँचे व 23” चौड़े सात फनों से युक्त कामितपूरण पार्श्वनाथ प्रभु की मनमोहक दिव्य श्याम वर्णीय प्रतिमाजी लगभग 2000 वर्ष प्राचीन है।
🪷जानकारी के अनुसार जब नागदा में जनमेजय ने नाग यज्ञ किया था| उस यज्ञ के प्रसंग पर चारों दिशाओं में तोरण द्वार बांधे गए थे| उस समय यहाँ भी तोरणद्वार बांधा गया था। कालक्रम से वहां बसा नगर “तोरण” के नाम से प्रसिद्ध हुआ, जो बाद में आज “उन्हेल” के नाम से प्रसिद्ध है।
🌹गुप्तकालीन अवशेषों से इस नगर की प्राचीनता का प्रमाण मिलता है। इस प्राचीन तीर्थ के अनेक बार उद्धार भी हुए। वि.सं. 1898 में इस तीर्थ की पुन: प्रतिष्ठा हुई थी।वि.सं. 2020 में वापस जिरणोद्वार हुआ और प्रतिष्ठा हुई।
🪷विश्व भर में पार्श्वनाथ भगवान की 7 फणों वाली यही एक मात्र प्रतिमाजी है में जिसके ऊपर दोनों और धरणेन्द्र और पद्मावती की मूर्तियां जुडी हुई है।
🌸आराधकों की कामनाओं की पूर्ति होने के कारण कामित पूरण पार्श्वनाथ प्रसिद्ध हुआ।
🌸कभी कभी पर्व एवं तिथियों पर मंदिर से भजनों की स्वर लहरी भी सुनाई देती है। श्यामवर्णीय प्रभु प्रतिमा अत्यन्त मनमोहक है।
⭐ तीर्थ यात्रियों के लिए यहां पर भोजनशाला एवं ठहरने की उत्तम व्यवस्था है।
🙏एक बार दिव्य चमत्कारी पार्श्वनाथ प्रभु के दर्शन का लाभ अवश्य ही उठाईये 🙏
🌹यह चमत्कारिक तीर्थ उज्जैन से 36 कि. मी एवं उन्हेल रेल्वे स्टेशन से 10 कि. मी दूरी पर स्थित है।