राष्ट्र संत युगपुरुष चमत्कारी संत, महाश्रमण पूज्य गुरुदेव श्री ज्ञान मुनि जी म. का जन्म शताब्दी वर्ष महोत्सव का डी- लाइव प्रसारण देखें 06 मई 2023 दिन शनिवार रात 9 बजे से आत्मा चिंतपूर्णी लाइव फास्टवे के चैनल नंबर 565 पर पंजाब वीरांगना महा साध्वी श्री पुष्पा जी के सानिध्य में महाश्रमण पूज्य गुरुदेव श्री ज्ञान मुनि जी महाराज का 100 “जन्मशताब्दी वर्ष” बड़ी श्रद्धा भक्ति के साथ मनाई गई। श्री मती किरण जैन लुधियाना श्री नितिन गुप्ता मुख्यअतिथि के रूप में उपस्थित थे झंडे की रस्म श्री भुषण गुप्ता जी की लंगर का लाभ श्री सतीश कुमार जैन ने लिया। मंच संचालन श्री गोल्डी जैन रोपड़ ने किया । सांस्कृतिक कार्यक्रम का अयोजन भी किया गया। इस अवसर पर महा साध्वी श्री पुष्पा जी महाराज ने बताया कि श्रदेय गुरुदेव श्रमणसंघ की शान और गुरु आत्म परिवार का कुलदीपक थे। गुरुजी की शरण में जो कोई आता कभी भी खाली नहीं जाता था आज भी ‘गुरु ज्ञान पावन धाम “पर जो कोई भक्त आता है उसकी हर मनोकामनाएं पूरण होती है और गुरुदेव का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है गौरी जी महाराज, समता जी महाराज ने अपने भजन और प्रवचनों से श्रद्धा सुमन अर्पित किये इस अवसर पर श्री पुरुषोत्तम जैन श्री रविन्द्र जैन ने बताया कि गुरुदेव पहुचे हुए संत और क्रांति कारी संत थे गुरुदेव ने श्रमणसंघ के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण कार्य किये। इस अवसर पर लुधियाना खरड़ मुलाना अंबाला नाभा राजपुरा खन्ना बस्सी आदि शहरों से भक्त जन उपस्थित थे।
जन्म अक्षय तृतीया, त्रौदशी को दीक्षा और देवलोक अष्टमी 23 अप्रैल भारत वर्ष की पुण्यमयी गुणरत्नमयी धरा पर हजारों महापुरुष पैदा हुए। जिन्होंने साधना को तेजस्वी और वरचस्वी बनाया है। इतना ही नहीं अपने प्रबल पुरषार्थ द्रारा स्व-पर कल्याण- साधना के पथ को प्रशस्त एवं उज्जवल किया है। उन्ही महान आत्माओं की पावन लड़ी की कड़ी मे राष्ट्रीय संत महाश्रमण पूज्य गुरुदेव श्री ज्ञान मुनि जी महाराज एक विलक्षण व्यक्तित्व के धनी थे। आप स्थाकवासी जैन समाज के उन वरिष्ठ और प्रभावशाली संतों में से है। आप श्री का जन्म। वि.सं.१९७९ वैशाख शुक्ला तृतीया के पवित्र दिन साहों की (पंजाब ) नामक गाँव के बांसल ला.गोखाराम जी अग्रवाल जैन की धर्मपत्नी माता मन्शादेवी कुक्षि से जन्म हुआ।
विधा भगवती के चरणों में~
पुज्यपाद गुरुदेव ने आचार्य सम्राट पूज्य श्री आत्मा राम जी महाराज के चरणों में चौदह वर्ष की उम्र में रावलपिंडी में दीक्षा अंगीकार की।
साहित्य सेवा~~ श्री विपाक सूत्र श्री अन्तगड़ सूत्र श्री अनुयोगद्रार सूत्र श्री प्रज्ञा पना सूत्र प्रशनौ के दो खण्ड भगवान महावीर के पांच सिद्धांत सामायिक सूत्र दीपक के अमर संदेश आचार्य-सम्राट प्राकृत वयाकरण दो खण्ड ज्ञान गंगा ज्ञान भरे दोहे ज्ञान संगीत साधना के अमर प्रतीक आदि अनेकों पुस्तकें लिखी. साहित्य समाज का महायज्ञ~ समाजिक श्रेत्र में गुरुदेव ने जहाँ जहाँ जन जागृति के दीपक जलाए लोगों के प्रति श्रद्धा आस्था पैदा की फिलौर, बहराम, बसीपाठाना, कोटकपूरा, समझाया, महोली, बनूड़, राहों, राजपुरा, खरड़ मलौद, आदि स्थानकों की स्थापना करवाई और अनेकों डिस्पेन्सरीयां सलाई सैंटर खुलवाएं. जिनशासन प्रभावक~~ आपने अपना सम्पूर्ण जीवन जिन शासन की प्रभावना के लिए समर्पित कर दिया है आपके द्रारा किये गए असीम उपकार व धर्म प्रभावना का जयघोष पंजाब में गुंजाया है वह युग युग तक आपकी सुयश गाथा सुनाता रहेगा।
श्रमणत्व के सच्चे साधक~ आपका जीवन एक सच्चे साधक, सच्चे श्रमण का जीवन है। जिसमें समता की सुवास महक रही है।